मनुष्य योनि में ही मिलती है भगवान को प्राप्त करने की चाबी- कृष्णदास महाराज

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देवास। कई प्रकार की योनियां हैं। सभी 84 लाख योनियां भोग योनि में आती है। जब जीव सारी योनियां पार कर देता है, तब अंत में मनुष्य की योनि प्राप्त करता है। मनुष्य योनि में ही भगवान को प्राप्त करने की चाबी मिलती है। मनुष्य योनि ही वह योनि है, जिसमें हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।

यह विचार मेंढकीचक तालाब के पास स्थित शिव मंदिर परिसर में श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक कृष्णदास महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि मनुष्य योनि 84 लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ बताई गई है, इसलिए इस मनुष्य योनि में श्रेष्ठ कर्मों व निरंतर परमात्मा का स्मरण कर मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। महाराजश्री ने कहा, कि भगवान ने एक बार विचार किया, कि एक से अनेक हो जाऊं। सबसे पहले भगवान ने 14 लोकों को जन्म दिया और नाभिकमल के नीचे सात लोक है। हम भू-लोक में निवास करते हैं। सबसे नीचे पाताल है और पाताल से भी नीचे है नर्क।

महाराजश्री ने कहा, कि भगवान का ध्यान करने के लिए बैठो तो सबसे पहले भगवान के चरणों का ध्यन करें। भगवान की कृपा चरणों में होती है, माथे पर नहीं, इसलिए चरणों की वंदना की जाती है। भाव से चरणों का चिंतन करें। चरणों का ध्यान करें। जो कुछ भी है संसार में सब भगवान के स्वरूप में ही है। सब भगवान की ही माया है। भगवान का ही रूप है। मंगलवार को सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया। बुधवार को कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।

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