देवास। संसार संशय से भरा हुआ है। संसार संशय का सागर है। संसार में एक संशय मिटा तो दूसरा खड़ा हो जाता है। दूसरा मिटा तो तीसरा खड़ा हो जाता है। संशय है तो नहीं परंतु सिर्फ भरा हुआ है। अगर हो तो उसको हाथ में पकड़ लो। जैसे अंधेरे को ढूंढों और अंधेरे की जड़ ढूंढों तो मिलेगी क्या। अंधेरा दिखता है पर है कहां, कैसे जानोंगे ओर समझोंगे। लेकिन संशय हो जाता है व्यक्ति को। सत्य क्या है असत्य क्या है इसका भेद थोड़ी मालूम है। गुरु दिखता है जब उसे दिखाई देता है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित चौका आरती के दौरान गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा भले-बुरे की पहचान नहीं सिर्फ संशय में ही व्यक्ति भला-बुरा करता रहता है। जैसे एक सांप बच्चे के पास आकर खेलता है। नेवला समझता है कि सांप बच्चे को मार देगा, इसलिए नेवले ने सांप को मार दिया। जिससे नेवले का मुंह खून से लाल हो जाता है। थोड़ी देर बाद जब मां की नजर बच्चे पर पड़ती है तो समझती है, कि नेवले ने मेरे बच्चे को काट लिया होगा जिससे इसका मुंह लाल हो गया है। जबकि नेवले ने सांप को मार कर उसके बच्चे की जान बचाई थी, लेकिन मां ने संशय के कारण उस नेवले को ही मार दिया। अगर थोड़ा भी समझ लेती जान लेती तो उस नेवले को नहीं मारती, उसकी जान नहीं जाती।
उन्होंने कहा ऐसा ही इस सांसारिक जगत में भी हो रहा है। पूरा संसार संशय से भरा हुआ है। बिना समझे, देखे, बिना बुझे ही भ्रम में ही भला-बुरा कर बैठता है, इसलिए संशय से हमें बचना चाहिए और सत्य की ओर अग्रसर होना चाहिए। जो सत्य है, वह किसी से छुपा नहीं है। सत्य अटल है। इस अवसर पर साध संगत द्वारा भजन-सत्संग, कीर्तन किए गए। कार्यक्रम के पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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