जिसकी मति खराब, उसकी हो जाती है दुर्गति- आचार्य अनिल शर्मा

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देवास। घर में आग लग जाए तो पानी डालने का मुहूर्त नहीं पूछा जाता, वैसे ही जब भी धर्म करने, शुभ कार्य करने का मन में हो तो शीघ्र कर देना चाहिए, क्योंकि मन का कोई भरोसा नहीं कब बदल जाए। मन बड़ा चालाक है। कथा भी सुन रहे हैं तो कथा का क्या फल है। सारी जिंदगी भजन करने का, दान देने का, पूजन करने का, तीर्थ यात्रा का फल क्या है। भगवान का सच्चे मन से स्मरण करना ही फल है।

यह विचार खाटू श्याम महिला समिति चाणक्यपुरी स्टेशन द्वारा चंद्रेश्वर महादेव मंदिर चाणक्यपुरी एक्सटेंशन में श्रीराम कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को व्यासपीठ से आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि सारी जिंदगी झूठ बोलते रहे तो कोई बात नहीं, लेकिन जहां मति रहेगी वहीं जाना है। जैसी तुम्हारी मति होगी वैसी ही गति भी होगी। अगर मति खराब होगी तो दुर्गति निश्चित है। जब आए मरण का मौका कहीं हो ना जाए धोखा।

आचार्यश्री ने बताया गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज ने रामचरित मानस के मंगलाचरण में लिखा है, कि मैं किसी और को प्रसन्न करने के लिए नहीं, मैं तो रघुनाथजी को प्रसन्न करने के लिए, अपने अंतःकरण की शांति के लिए श्री रामचरितमानस की रचना कर रहा हूं। उनका संदेश यह भी था, कि ज्ञान देने का अधिकार उसी को है, जिसने अपने जीवन में कुछ सफलताएं और कुछ अनुभव प्राप्त कर लिया हो। आचार्यश्री ने कहा, कि जिन्होंने कभी जिंदगी में रामायण पढ़ी नहीं, जो गुरुजनों में बैठे नहीं, जिन्होंने शास्त्र का ज्ञान प्राप्त नहीं किया, वे भी ज्ञान बांटने में लगे हुए हैं। कई अज्ञानी लोग भ्रम पैदा कर रहे हैं कि हिंदुओं के ग्रंथ में यह लिखा है… वह लिखा है। हमारे देश में ऐसे भी लोग जो संतों के वेष में है और नाम भी हमारे रामजी का ही ले रहे हैं और विरोध भी हमारे राम का ही करते हैं। वे माताओं को कहते हैं, कि मंगलसूत्र मत पहनो, मांग मत भरो। वे कहते, कि रक्षाबंधन मत मनाओ, मंदिरों में मत जाओ। वे हमारे ही देवताओं को अपमानित करते हैं और हम महामूर्ख की तरह उनकी बातें सुन रहे हैं, जो गलत है। इस अवसर पर भक्तों द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की गई। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक हो रही है। उपाध्याय नगर, चाणक्यपुरी, चंद्रशेखर आजाद नगर, जयश्री नगर सहित शहरभर के भक्त कथा श्रवण के लिए आ रहे हैं।

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