देवास। विश्व शांति के लिए अस्त्र-शस्त्रों का ढेर लगा लिया। इतनी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद भी तुम वही के वही हो। इतने हथियार, तीर, तलवार, तोप फिर भी विश्व में शांति नहीं ला सके, तो सद्गुरु ने कहा, कि शब्द और संवाद से ही विश्व में शांति आएगी।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने प्रताप नगर प्रार्थना स्थली पर बसंत पंचमी पर आयोजित गुरुवाणी पाठ, चौका आरती के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि दुनियाभर के झंझट खड़े कर हम विध्वंश की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। हम सबको फंसा रहे हैं, हालांकि मर कोई नहीं रहा है। सिर्फ शरीर रूप मटके फूट रहे हैं। आनंद का धाम है मानव तन। सबसे बढ़िया और सर्वश्रेष्ठ है, मानव जीवन। मनुष्य जन्म एक परिणाम का स्वामी है। किसी भी परिणाम को देने का स्वामित्व तुम्हारे पास है, लेकिन इसके बाद भी भटक रहे हो। एक-दूसरे को मार रहे हो, मर रहे हो। वही पंछी कर्म भोगी है जो भी बन गए, भोग रहे हैं जिंदगीभर। गाय बन गई तो गाय, कुत्ता बन गया तो कुत्ता, भैंस बन गई तो भैंस यह कर्म भोग है।
साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब के सानिध्य में ध्वजारोहण कर बसंतोत्सव पर्व मनाया। सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सभी को बसंत के रंगों में भिंगोया। उन्होंने कहा, कि तरक्की के नाम पर संसार को तुमने बेचैन कर दिया है। समझ रहे हैं बड़ा लाभ हो रहा है। क्या लाभ हो रहा है। संसारभर की पढ़ाई-लिखाई कर ली, लिख लिया सब। संशय तो मिटा नहीं कब विस्फोट हो जाए, दुर्घटना हो जाए पता नहीं। तुम आत्मा तक पहुंचे नहीं और अंतरिक्ष पर पहुंचने की उड़ान भर रहे हो। जब चाहे जो घटना हो जाती है। साहब कह रहे हैं कि पहले आत्मा तक, अपने तक पहुंच जाओ। संसाधन के पास पहुंच रहे हैं। संसाधन तो आपको दौड़ा देगा। आपकी सूझ होना चाहिए कि चलना कहां है। परिणाम क्या होगा। इस दौरान नानूराम साहेब, सेवक वीरेंद्र चौहान, सेवक राजेंद्र सहित साध संगत ने सद्गुरु मंगल नाम साहब की महाआरती कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया।
आत्मा तक पहुंचे नहीं और अंतरिक्ष की उड़ान भर रहे हैं- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
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