श्वास हंसा का देश है, जहां कभी दिन और रात नहीं होता- सद्गुरु मंगलनाम साहेब
देवास। जहां रात नहीं होती, दिन नहीं होता, उस देश में चलो वह देश श्वास का देश है। हंसा का देश है। श्वास के देश में रात और दिन होती है क्या। 24 घंटे एक जैसी निरंतर चल रही है। दिन का नाम सुनकर के बदल जाएगी.. की रात का नाम सुनकर बदल जाती है। श्वास तो 24 घंटे निरंतर चलती है। वहां दिन-रात कहां है। विश्राम ही नहीं है। श्वास जागृत पुरुष है। वहां हमेशा प्रकाश रहता है। वहां अंधकार और उजाले को कैसे नापोंगे, कि श्वास नहीं चल रही है। चल हंसा का देश है प्रकाश। निरंतर जागना, निरंतर सेवा करना। निरंतर जहां है, वहां कब शाम हुई और कब सुबह हो गई कौन मानेगा।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित चौका आरती, गुरुवाणी पाठ के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि लोग कहते हैं नया साल हो गया है। कैसे मानेंगे हमारा तो निरंतर श्वास से संबंध है। हम तो जागे हुए हैं। श्वास के साथ रहने वाले लोग है। शरीर सोता-जागता है। श्वास ना तो सोता और न जागता है। शरीर मां के पेट से सोता चला आया है। सोता-सोता श्मशान तक चल जाएगा, पहुंच जाएगा। श्मशान में लगा दी जाएगी आग की सो गया है। लगा दो आग, अब उठने वाला कभी नहीं है। हमेशा के लिए सो गया है वह। वह नया हो सकता है। अपना तो निरंतर श्वास के साथ जागना है। जिसका दिन और रात होता है क्या। श्वास में दिन-रात कहां है। उसका तो अखंड प्रकाश है। जिसका कभी खंड नहीं होता है। इस अवसर पर साध-संगत ने रातभर सत्संग, भजन-कीर्तन कर गुरवाणी पाठ में शामिल होकर महाप्रसाद ग्रहण किया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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