आपको मूर्खों को बताने की जरूरत नहीं है कि आप विद्वान हैं- पं शिवम बापू

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सिरोल्या। संसार में मनुष्य को अगर सुख की प्राप्ति करनी है तो वह धन से नहीं होगी। वह केवल ईश्वर की अच्छे मन से की गई भक्ति से ही मिलेगी। अच्छी संस्कृति ही मनुष्य की सुंदरता है। अगर मनुष्य अच्छी संगत में रहेगा तो हर जगह सम्मान पाएगा।

ये विचार कैलोद के पास स्थित गांव निवोनिया में श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पं. शिवम बापू ने कहे। उन्होंने कहा कि अपनी आपकी कमी अगर सुधार ली, तो जीवन सुधर जाएगा। मीठा बनकर रहें, तनाव, क्रोध, अधिक बोलने से मनुष्य को बाधा मिलती है। राजा हरीशचंद्र की कथा पर कहा कि आप अच्छे हैं ये ठीक है, किंतु आपको मूर्खों को बताने की जरूरत नहीं है कि आप विद्वान हैं। प्रतिदिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करें, घर में हमेशा लक्ष्मी, वैभव, शांति, सौहार्द बना रहेगा।

इस दौरान उन्होंने भजन गाया.. नंदलाला हो म्हारा गोपाला, बंशी जोर की बजाई रे नंदलाला…, मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने… भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूमने उठे। कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मणि की वेशभूषा में पांडाल में विवाह भी रचाया गया। विश्राम पर व्यासपीठ की महाआरती जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि मुकेश पटेल, जपं सदस्य राकेश खिरनी, कालूसिंह दरबार, अमर चौधरी सहित यजमान ने की। अंत में प्रसाद वितरण किया गया।

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