देवास। शरीर सिर्फ एक झोपड़ी है, जले इससे पहले तुम जाग जाओ। जो जागा हुआ नहीं है। जिसमें समझ नहीं है, वह शरीर रूपी झोपड़ी में बैठा हुआ है। उसे सत्य पुरुष की कोई खबर नहीं है। शरीर एक झोपड़ी है, जीव को रहने का आवास है। इस आवास में तो लोग आग लगा देते हैं। श्वांस लेना बंद कर दो तो लोग जला देते हैं। यह सोने वाली जो चमड़ी है, जो हमेशा तुम्हारे साथ, हमारे साथ रहने वाली नहीं है। कुछ लोगों ने ही इस तत्व को हासिल किया है। जैसे हनुमानजी, भरतरी, गोपीचंद निरंतर श्वांस के साथ हो गए, क्योंकि वह शरीर के साथ नहीं श्वांस के साथ ही रहे। शरीर का कभी मोह नहीं किया उन्होंने।
यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने सद्गुरु कबीर प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी पाठ, गुरु शिष्य चर्चा, चौका आरती के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा, कि शरीर को नापने के लिए अपने-अपने हिसाब से बजे को माध्यम बनाया गया है, लेकिन चाहे 12 बजे या 1 बजे। जितने भी बजे। सब बजे के भीतर ही हैं। दिन, तिथि, वार सब दिन के भीतर है। जो समय है वह प्रकाश है, उसको कैसे नापोंगे। प्रकाश अखंड और असीम है। प्रकाश, श्वांस जागृत है, कभी सोया है क्या।
उन्होंने कहा, कि अभी नींद खुली, अभी सोया ऐसा नहीं है। सत्य पुरुष एक अखंड वृक्ष है, जिसका कभी नाश नहीं होता। सत्य पुरुष जो है वह श्वांस है। नापने में आता है ही नहीं। जो अखंड, असीम और अमर तत्व हैं, उसको नापने के लिए कबीर की विचारधारा की ओर जाना पड़ेगा। आप जब वहां पहुंचोंगे तो शरीर से संबंध खत्म हो जाता है। श्वांस का संबंध जागृत हो जाता है। जो श्वांसों से जाग गया, वह शरीर रूपी पेड़ से मुक्त हो जाता है। पेड़ पर पत्ते आते हैं और झड़ जाते हैं। तो पत्ते के झड़ने से पेड़ का नष्ट होना नहीं कहलाता। उन्होंने कहा सत्य पुरुष एक वृक्ष निरंजन, बाकी डाल, पानी से पैदा होने वाला शरीर डाली पेड़ में बांध जाता है। जो अखंड है, अजर-अमर है, वह श्वांस है। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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