क्षिप्रा (राजेश बराना)। इस शरीर को मथुरा और हृदय को गोकुल बनाओ, तब यह जीव नंद होगा। जहां नंद है वहां आनंद है। मन को आसक्ति से बचाओ तो शरीर मथुरा बनेगा और मन में प्रेम उत्पन्न करोंगे तो हृदय गोकुल बनेगा। पवित्र काया ही मथुरा है। भक्ति आसान नहीं है। पर स्त्री और पर संपत्ति की आसक्ति को छोड़े बिना भक्ति का आरंभ नहीं हो सकता। भोग बुद्धि है, तब तक ईश्वर की भक्ति नहीं हो सकती। जब हृदय में आनंद होने लगे तो समझ लेना नंद का उत्सव है। वही आनंद हृदय में प्रेम उत्पन्न करता है। वही प्रेम कृष्ण की भक्ति है।
यह आध्यात्मिक विचार क्षिप्रा तट पर श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन भागवताचार्य संत मोहित नागर ने श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहे। संतश्री ने कहा, कि अपने धर्म की रक्षा करने वालों को अनेक परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। राजा हरिश्चंद्र ने धर्म के लिए अपने परिवार को बेच दिया। स्वयं ने चांडाल का काम किया मगर सत्य को नहीं छोड़ा। सत्यवादी परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। चाहे परीक्षा स्वयं नारायण क्यों न लें।
उन्होंने कहा, कि जिसका वर्णन नहीं हो सकता, वह प्रेम है। गोपियों के प्रेम की परीक्षा लेने गए ज्ञानी उद्धव भी प्रेम की परिसीमा में पराजित हो गए। भगवान कृष्ण की लीला का सारगर्भित वर्णन करते हुए कहा, कि पूतना ने बालकृष्ण को अपने थन में विष भरकर दूध का पान कराया था, इसलिए कृष्ण भगवान ने पूतना को भी मां की संज्ञा दी है। मां का उपकार हम कभी नहीं भूले। जिसने मां का अनादर किया, वह इस जीवन में कभी सुख को प्राप्त नहीं कर सकता और ना ही मरने के बाद मुक्ति प्राप्त कर सकता है। कथा में गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा, कि गोवर्धन अर्थात प्रकृति का संरक्षण। भगवान कृष्ण ने प्रकृति की रक्षा के लिए गोवर्धन की पूजा करवाना प्रारंभ की थी। गोपाल कृष्ण ने गाय से प्रेम करना सिखाया। जिसके घर में गाय की सेवा होती है, वहां गोविंद का वास होता है। ठाकुरजी प्रभुता को स्वीकार नहीं करते वह प्रेम की अद्भुतता को स्वीकार कर भक्तों के वश में रहते हैं।
कथा के मध्य गायक देवेंद्र पंडित ने राष्ट्रगीतों के साथ रामायण की चौपाई सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा आयोजक एवं मुख्य यजमान दिलीप अग्रवाल व परिवार ने व्यासपीठ की पूजा की। आरती में विशेष रूप से देवास विकास प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश यादव, महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, विधायक प्रतिनिधि भरत चौधरी, संस्था राम-राम के संयोजक शैलेंद्रसिंह पवार, पत्रकार सचिन गोयल, दिनेश डाबी, सुभाष सोलंकी, मयूर वाघेला, आनंद गुप्ता एवं सरपंच दीपक पटेल उपस्थित थे। कल कथा में रूक्मिणि विवाह का प्रसंग होगा।
Leave a Reply