बादलों को चिट्ठियां नहीं लिखते, बारिश का इंतजार करना होता है

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जिंदगी में हम अनेक भूमिका निभाते हैं। कई प्रकार के कार्य करते हैं।हर कार्य का अपना महत्व है और उसमें एक निश्चित समय लगता है।
कोई भी बीज जब हम बोते हैं तो उसकी ऋतु आने पर ही फूल और फल आते हैं। आपके अधीर होने से प्रकृति अपना नियम नहीं बदलती।
जीवन में हमें धैर्य रखना होता है। वक्त को भी बदलने में वक्त लगता है। बादलों को चिट्ठियां नहीं लिखते बल्कि बारिश का इंतजार करना पड़ता है।वर्तमान युग में उन्नत यातायात साधनों, मशीनों एवं संचार तकनीकी ने हमारे जीवन को कम समय में अधिक कार्य करने योग्य तो बना दिया, लेकिन इसका एक पहलू यह भी है, कि हम हर कार्य में चाहे वह रिश्ता हो, घर हो, समाज हो, नौकरी हो, बहुत जल्दी अधीर हो जाते हैं। यह जल्दी की आदत हमें कई बार परेशानी में डाल देती है।जिसने भी जीवन में धैर्य को अपनाया है, वह प्रगति पथ पर आगे बढ़ गया है। इंतजार का मतलब ये नहीं होता, कि हम प्रयत्न ही नहीं करें और निष्क्रिय बैठे रहें। प्रयत्न के साथ धैर्य हमें मंजिल पर पहुंचाता है। वर्तमान जीवन शैली में हमें आगे बढ़ना है तो धैर्य, विवेक एवं सहनशीलता को भी अपना सहयोगी बनाना होगा।

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