देवास। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, संत हुए हैं बड़े ही संघर्षों के बाद उन्हें वैभव व संतों को सिद्धियां मिली हैं। संघर्षों के बाद, मिटने के बाद ही मानव वैभव पा सकता है। बिना मिटे तो दाना भी अंकुरित नहीं होता।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर आश्रम सर्वहारा प्रार्थना स्थली मंगल मार्ग टेकरी पर आयोजित गुरु-शिष्य चर्चा एवं सम्मान अवसर पर कही। उन्होंने कहा, कि जमीन में गाड़ा गया दाना जब अंकुरित होता है तो गुलजार हो जाता है। एक दाने के हजार दाने हो जाते हैं, लेकिन एक दाने के हजार दाने होने के लिए पहले उसे मिटना पड़ता है, सड़ना पड़ता है तब कहीं अंकुरित होकर हजार दाने होते हैं, इसलिए वैभव पाने के लिए, अंकुरित होने के लिए पहले परेशानियां झेलना पड़ती हैं।
उन्होंने कहा, कि जब आदमी अंकुरित होता है और अंकुरित होकर के वैभवशाली हो जाता है। जो परेशानी नहीं झेल पाता, वह अंकुरित कैसे हो सकता है। मां के गर्भ में जब बच्चा जाता है तो बहुत तरह की प्रताड़ना सहन करना पड़ती है, जब वह बच्चा अंकुरित होता है और अंकुरित होकर गुलों-गुलजार हो जाता है। जो मानव परेशानियों से, दिक्कतों से बचना चाहता है, वह अंकुरित कैसे होगा। अंकुरित वही होगा, जो परेशानियों को झेलकर आगे बढ़ जाए। सच्चाई यह है, कि सत्य के सहारे ही सारी मुसीबत को झेलना पड़ती है। जो सत्य को छोड़ता है उसका पतन हो जाता है, मिट जाता है। जीव नाम कबीर है बाकी सब जड़ है। जीव चैतन्य है, जो कभी मिटता नहीं। बाकी सब जड़ है।
इस दौरान साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब का पुष्प मालाओं से सम्मान कर आशीर्वाद लिया। यह जानकारी राजेंद्र चौहान ने दी।
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