– किसानों के अरमानों पर फिरा पानी
बागली (हीरालाल गोस्वामी)। मोटा अनाज वर्ष में प्रेरित होकर जिन किसानों ने मोटा अनाज लगाया, बिगड़ी प्रकृति ने किसानों के अरमानों पर फेर दिया पानी
केंद्र सरकार ने 2023 का वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मानकर किसानों को मोटा अनाज लगाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रेरणा से बागली क्षेत्र के कई किसानों ने मोटा अनाज फसल में मक्का, ज्वार, बाजरा को लगाया, लेकिन विगत दिनों तेज बारिश के चलते सबसे अधिक मोटा अनाज की फसल ही प्रभावित हुई। क्षेत्र के अधिकतर किसानों ने मक्का फसल लगाई है। यह फसल एक माह बाद पकने को तैयार थी, लेकिन इसके पहले ही भारी बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया।
कृषि विभाग बागली के अनुसार 2 हजार हेक्टेयर भूमि पर जिसमें 80 प्रतिशत मोटा अनाज फसल में शामिल मक्का फसल है। इस फसल में लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन कम होगा। मौसम खुल जाता है तो किसान सोयाबीन की कुछ फसल घर तक ले सकते हैं, लेकिन मक्का फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
महंगा बीज और खाद व्यर्थ गया-
इस वर्ष मक्का बीज विगत वर्ष की तुलना में दोगुनी कीमत पर मिला और खाद भी महंगा मिला। मक्का में दो बार खाद दिया जाता है। 15 दिन पूर्व ही किसानों ने मक्का को खाद दिया, जिसके चलते मक्का के पौधे अच्छी तरह से बढ़ने लगे थे, लेकिन पानी एवं तेज हवा से मक्का की फसल खेतों में आडी पड़ गई। कुछ फसलों में भुट्टे एवं मक्का के दाने भी आने लगे थे, किंतु अब यह पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किसानों को इस फसल को काटकर मवेशियों को खिलाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
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