संवाद गोष्ठियों से ही संसार में आ सकती है शांति- सद्गुरु मंगलनाम साहेब

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देवास। शब्द संभालकर बोलिए.. शब्द के हाथ में पांव.. एक शब्द औषधि करें, एक शब्द करें घाव। अपनी वाणी को संयमित होकर ही बोलना चाहिए, क्योंकि शब्द जो बोले गए हैं, वे वापस नहीं आते और कई बार हमारे द्वारा बोले गए शब्दों से विवाद खड़ा हो जाता है। वाणी अपनी सुधार लो यह तन या ही देह। खारी से मीठी करो सद्गुरु का उपदेश।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा चूना खदान बालगढ़ प्रार्थना स्थली पर आयोजित गुरु शिष्य संवाद गोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा संसार के भेदभाव व वाणी, विचारों से ही हम झगड़ रहे हैं, क्योंकि हम बिना सोचे समझे बोल देते हैं। लोगों में अपनी वाणी प्रसारित कर देते हैं।
शरीर मिथ्या और इसमें शब्द है वह सत्य है। उन्होंने कहा शब्द विदेही है, शब्दों को हम तभी समझ पाते हैं, जब सद्गुरु हमें समझाते हैं तब ध्यान जाता है। सद्गुरु जब प्रकाश देता है, तब हमारे अंदर चेतना का विकास होता है। चेतना जागृत होती है। इसलिए संसार के इस प्रपंच से दूर करने के लिए, मिथ्या से हटाने के लिए  गुरु-शिष्य संवाद गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। संवाद गोष्ठियों से ही संसार में शांति आ सकती है तीर, तोप व तलवारों से नहीं। संवाद गोष्ठी में सद्गुरु की वाणी विचारों को समझ करके संसार निर्बेर हो जाए।
इस दौरान सद्गुरु मंगल नाम साहेब का साध, संगत पारखियों द्वारा पुष्पमाला एवं श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया। यह जानकारी समिति के वीरेंद्र चौहान ने दी।

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