– स्वस्थ्य पेड़ों की पत्तियों को खाकर पीले व छिद्रयुक्त कर रही इल्लियां
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। बारिश के मौसम में प्रकृति की मेहरबानी से हरियाली आच्छादित है, लेकिन हरेभरे पेड़ों व झाड़ियों के मध्य सागवान के जंगल में पतझड़ सा नजारा है। स्वस्थ्य, मजबूत पेड़ों की पत्तियां तीन-चार दिनों में ही छिद्रयुक्त होकर पीली पड़कर सूखने लगी है। जंगल के रास्तों से गुजरते वक्त हरियाली के बीच ये पेड़ सूखे-सूखे दिखाई दे रहे हैं। प्रकृतिप्रेमियों को सागवान के पेड़ों की बीमारी आहत कर रही है। वन विभाग को भी इन्होंने इसकी जानकारी दी है।
जंगल में सागवान के पेड़ों पर चार-पांच दिनों से प्रकृति का कहर दिखाई दे रहा है। सागवान से आच्छादित धावड़िया, रामपुरा, बावड़ीखेड़ा, शिवन्या, अंबानी, बढ़पुरा आदि क्षेत्र में सागवान के पेड़ों पर कीट प्रकोप है। इस कारण सागवान के पेड़ों में पत्ते सूखे-सूखे नजर आ रहे हैं। विशेष प्रकार की इल्ली सागवान के पत्तों पर बैठकर रातों-रात हरे हिस्से को खा रही है। इससे पत्ते सूखकर जालीदार हो रहे हैं। कीट प्रकोप से किसानों में भी चिंता है। किसानों का कहना है कि अगर सोयाबीन में इसका प्रकोप हो गया तो यह पूरी फसल नष्ट कर देंगी। इसके प्रकोप को देखते हुए खेतों की मेड़ पर लगे सागवान के पेड़ों पर दवाई का स्प्रे करना होगा।
पत्तों का सूखना चिंता की बात-
पर्यावरण मित्र आरती विपिन शिवहरे ने बताया जंगल में इस तरह से पेड़ों के पत्ते सूखना चिंता की बात है। हमारे क्षेत्र में बड़ी संख्या में सागवान के पेड़ हैं। इन्हें सुरक्षित रखना जरूरी है। वन विभाग को भी इस बीमारी से पेड़ों को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
हरे हिस्से को खाता है कीट-
वनस्पति विज्ञान से जुड़ी शोधकर्ता अक्षिता योगी ने बताया यह कीट, जिस पत्ते पर बैठता है, उसका हरा हिस्सा खा लेता है। इसके चलते भरी बारिश में भी पत्ते सूखे दिखाई दे रहे हैं। कुछ समय बाद पत्तों का जीवन चक्र भी खत्म हो जाएगा।
पांच साल पहले भी आई थी शिकायत-
पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी सुरेंद्रसिंह उदावत ने बताया 5 वर्ष पहले भी इस प्रकार की शिकायत आई थी। इसकी रोकथाम खेतों की मेड़ पर ही कर देना उचित है। ऐसा नहीं करने पर फसल में नुकसान होने की संभावना है।
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