- पत्नी ने पति एवं सास-ससुर पर लगाए थे गंभीर आरोप
– न्यायालय के समक्ष सत्य को उजागर करने में एडवोकेट चंद्रकांत उपाध्याय की रही महत्वपूर्ण भूमिका
बेहरी। पत्नी द्वारा पति, सास एवं ससुर पर लगाए गए कई गंभीर आरोप, जो न्यायालय में झूठे पाए गए तथा न्यायालय ने पति सास एवं ससुर को दोषमुक्त कर दिया है।
मामला ग्राम बेहरी निवासी भरत गोस्वामी का है। भरत का विवाह वर्ष 2014 में हुआ था, किन्तु भरत की पत्नी उसके साथ रहना नहीं चाहती थी, इसलिए आएदिन अपने पति से विवाद करती रहती थी, किन्तु जब कोई बात नहीं बनी तो पत्नी ने भरत व उसके माता-पिता के खिलाफ सोनकच्छ थाने पर दहेज प्रताड़ना के लिए धारा 498 एवं मारपीट का आरोप लगाते हुए धारा 323 एवं 34 तथा ससुर पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए धारा 354 का प्रकरण दर्ज करवाया था तथा इसके अतिरिक्त एक प्रकरण घरेलु हिंसा का भी लगाया था। उक्त प्रकरण में भरत की ओर से पैरवी चंद्रकांत उपाध्याय अधिवक्ता द्वारा की गई। अधिवक्ता ने पत्नी के असत्य तथ्यों का पर्दाफाश करते हुए न्यायालय के समक्ष सभी साक्षियों का कुशल प्रतिपरीक्षण करते हुए अपनी बहस से न्यायालय के समक्ष सत्य को उजागार किया।
अधिवक्ता चंद्रकांत उपाध्याय के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने पुलिस सोनकच्छ द्वारा उपरोक्त धाराओं में प्रकरण में पति भरत, सास बेगमबाई तथा ससुर कैलाश गोस्वामी को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए बरी कर दिया। पत्नी द्वारा प्रस्तुत घरेलु हिंसा के प्रकरण को भी न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया। भरत की पत्नी द्वारा पति सास एवं ससुर पर कई प्रकार के गंभीर आरोप लगाए गए थे किन्तु सभी निराधार आरोप अधिवक्ता उपाध्याय के तर्कों के आगे टिक नहीं पाए। अधिवक्ता चंद्रकांत उप्पाध्याय ने भरत की ओर से तलाक के लिए केस फाइल किया गया था, जिसे भी न्यायालय द्वारा स्वीकार कर भरत के हित में विवाह विच्छेद का निर्णय एवं डिक्री पारित की गई थी। न्यायालय द्वारा भरत एवं उनके परिवार को दोषमुक्त किए जाने पर पूरे परिवार ने इसे न्याय की जीत बताते हुए राहत की सांस ली है।
पत्रकार हीरालाल गोस्वामी ने बताया कि इस प्रकार के निर्णयों से महिलाओं द्वारा अपने हितों के कानूनों को ढाल बनाकार उनका हथियार की तरह इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी एवं कमजोर महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित नहीं हो पाएगी।
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