- अधिक मास के उपलक्ष्य में आयोजित अमृतवाणी राम नाम सत्संग में इंद्रसिंह नागर ने कहा
टोंकखुर्द (नन्नू पटेल)। अनादि काल से परमात्मा और जीवात्मा छुपाछुपी का खेल खेल रहे हैं। ये वचन परम भक्त प्रहलाद के हैं। पाठशाला में अपने सहपाठियों को 5 साल के प्रहलाद कहते हैं, मित्रों! भगवान हमारे शरीर रूपी मंदिर में ही छुपा है, ढूंढो उसे। वही हमारा सृजनहार, पालक और रक्षक हैं।
ये विचार ग्राम रणायरकला में अधिक मास के उपलक्ष्य में आयोजित अमृतवाणी राम नाम सत्संग में इंद्रसिंह नागर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान भक्त के वश में है। प्रहलाद का जन्म हिरण्यकश्यपु नामक राक्षस के घर हुआ था। वह भगवान विष्णु का बैरी था। स्वयं को भगवान मानता था। कहता था मेरे अलावा कोई भगवान नहीं है, मैं भगवान हूं। सब मेरी भक्ति करो, लेकिन उसके स्वयं का बेटा प्रहलाद श्रीहरि का अनन्य भक्त था। उसको अनेक तरह से सताया गया। एक दिन उसकी हत्या करने पर उतारू हो गया तो भक्त प्रहलाद ने कहा कि पिताजी परमात्मा मेरे साथ हैं तो उसने कहा कहां है तेरा परमात्मा? तो प्रहलाद ने कहा कि यत्र-तत्र-सर्वत्र है। इस खंभे में भी। हिरण्यकश्यपु ने खंभे पर खड़ग का प्रहार किया और भगवान नृसिंह रूप में प्रकट हो गए। भगवान ने उससे कहा तूने मांगा था कि 12 महीने में ना मरू तो देख अधिक मास है, यह तेरे लिए ही अधिक मास बनाया है और भगवान ने उसका अंत कर दिया। कार्यक्रम में कई गांवों से श्रोता पधारे थे जो अमृतवाणी और भजनों से झूम उठे। आरती पश्चात अध्यक्ष हिम्मतसिंह एवं सरपंच मनोहरसिंह ने साधक बंधुओं का आभार व्यक्त किया। यह जानकारी श्रीराम शरणम् के प्रादेशिक प्रचारक डॉ. सुरेश गुर्जर ने दी।
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