देवास। उप संचालक कृषि आरपी कनेरिया ने बताया कि किसान भाई न्यूनतम 100 मिमी वर्षा (4 इंच) होने पर सोयाबीन फसल की बोवनी करें। एक ही किस्म लगाने के स्थान पर विभिन्न समयावधि में पकने वाली, अपने क्षेत्र में अनुशंसित 2 या 3 नई किस्मों की बोवनी करें। सोयाबीन आधारित अंतर्वर्तीय फसल लगाएं, असिंचित क्षेत्र में जहां रबी की फसल लेना संभव नहीं हो, वहां सोयाबीन के साथ अरहर की अंतर्वर्तीय फसल तथा सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार आदि अंतर्वर्तीय फसल लगाएं, जिससे रबी फसल की बोवनी पर प्रभाव न पड़े। सोयाबीन की बोवनी के पूर्व उपलब्ध बीज का न्यूनतम अंकुरण 70 प्रतिशत होना चाहिए। 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर सोयाबीन की बीज दर 65 से 70 किग्रा प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। विस्तृत जानकारी के लिए कृषि विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से किसानभाई संपर्क कर सकते हैं।
उप संचालक कृषि श्री कनेरिया ने बताया कि किसान भाई सोयाबीन की बोवनी कतारों से कतारों की दूरी 45 सेमी का पालन करें। साथ ही बीज 2 से 3 सेमी की गहराई तक बोवनी करें। पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेमी रखी जाए। विपरीत मौसम (सूखे की स्थिति, अतिवृष्टि आदि) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सोयाबीन की बोवनी बीबीएफ पद्धति या रिज एण्ड फेरो पद्धति से करें। सोयाबीन फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्व नाईट्रोजन, स्फूर, पोटाश एवं सल्फर (25:60:40:20) की पूर्ति केवल बोवनी के साथ ही करें।
सोयाबीन फसल की प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा कीटों से बचाव के साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु बीजोपचार अत्यन्त आवश्यक है। बोवनी करते समय बीज को जैविक कल्चर 5 ग्राम प्रति किग्रा की दर एवं रासायनिक फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा (10 ग्राम प्रति किग्रा बीज) का उपयोग करें। साथ ही कृषकगण अपनी सुविधानुसार अनुशंसित खरपतवार नाशकों में से अपने क्षेत्र में व्याप्त खरपतवारों के प्रकार देखकर आवश्यकतानुसार खरपतवार नाशक का उपयोग करें।
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