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Chamcham murder case | बहुचर्चित चमचम हत्या प्रकरण: अहम भूमिका साबित नहीं कर रहे गवाह, SC ने दी राहत

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Supreme Court

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नागपुर. बहुचर्चित चमचम हत्या प्रकरण में जिला सत्र न्यायालय के बाद हाई कोर्ट की ओर से भी भले ही जमानत याचिका खारिज की हो लेकिन इसे चुनौती देते हुए शेख निसार शेख सादिक की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति अपील दायर की गई. इस पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश रवीन्द्र भट्ट और न्यायाधीश दीपनकर दत्ता ने कहा कि मामले के गवाहों द्वारा याचिकाकर्ता की अहम भूमिका को साबित नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा चूंकि मामले में आरोपित अन्य 7 अभियुक्तों को पहले ही जमानत प्रदान की गई है. अत: याचिकाकर्ता को शर्तों के आधार पर जमानत प्रदान करने के आदेश निचली अदालत को दिए. याचिकाकर्ता आरोपी की ओर से अधि. रमेश रावलानी और अधि. अतुल रावलानी ने पैरवी की.

साढ़े तीन वर्ष से जेल में कैद

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि घटना के बाद 10 लोगों को आरोपी बनाया गया जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल है. इन 10 लोगों में से 7 को जमानत प्रदान की गई है लेकिन याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी गई. जबकि याचिकाकर्ता गत साढ़े तीन वर्षों से जेल में कैद है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 4 जून 2019 को राशि खोबरागड़े ने कलमना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया गया कि 15 दिनों से किन्नर द्वारा नाच गाने और बधाई के कार्यक्रम से जमा रकम का सटीक हिसाब नहीं देने के कारण कुछ किन्नरों का उनके गुरु उत्तम बाबा से विवाद चल रहा था. विवाद के चलते ही उत्तम बाबा ने इन किन्नरों को 7 दिनों के लिए काम पर नहीं जाने की पाबंदी लगाई थी जिसकी जानकारी किन्नरों ने अपनी सहयोगी चमचम को बताई. 

मानधन को लेकर हुआ विवाद

अभियोजन पक्ष के अनुसार विवाद को सुलझाने के लिए उत्तम बाबा के साथ बैठक हुई. जहां पुराने किन्नरों ने उत्तम बाबा को मानधन देने से इनकार कर दिया. चमचम ने ही इन किन्नरों का साथ दिया. घटना के दिन शिकायतकर्ता राशि, चमचम और नौशाद कार्यक्रम से लौटकर उत्तम बाबा के घर गए. एक रूम में बैठे ही थे कि कुछ किन्नर आरोपियों ने चमचम पर हमला बोल दिया. गंभीर रूप से घायल चमचम को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई. सुनवाई के दौरान अधि. रावलानी ने कहा कि शिकायतकर्ता राशि ने पुलिस रिपोर्ट में भले ही निसार शेख का नाम लिया हो लेकिन 164 के तहत दर्ज बयान में नाम का उल्लेख नहीं है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया. 



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