देवास। स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जिक्र आता है उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है।
अगर देश के पास इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस जैसी संस्था है तो इसका श्रेय विवेकानंद को जाता है। जब विवेकानंद शिकागो भाषण देने जा रहे थे तो जहाज के सफर में उनकी भेंट जमशेदजी टाटा से हुई। दोनों की बातचीत कई मुद्दों को लेकर हुई और विवेकानंद को पता चला कि जमशेदजी कुछ नए बिजनेस आइडिया के लिए अमेरिका जा रहे हैं। विवेकानंदजी ने जमशेदजी टाटा को भारत में एक अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान खोलने के अलावा एक स्टील फैक्ट्री की स्थापना की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे देश के युवाओं का विकास होगा और उनको रोजगार का अवसर मिलेगा।
जमशेदजी टाटा का इस पर काफी असर हुआ और उन्होंने इन दोनों मोर्चों पर काम करने की ठान ली। उस पर अमल करते हुए उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना की और स्टील फैक्ट्री भी खोली। इसी तारतम्य में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा सयाजी द्वार पर शिकागो भाषण के ऐतिहासिक दिन के अवसर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर लेखक अमित राव पंवार, वरिष्ठ पत्रकार शेखर कौशल, चेतन राठौड़, विजेंद्र उपाध्याय, प्रिंस बैरागी एवं पं. रघुनंदन समाधिया उपस्थित थे।
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