धर्म-अध्यात्म

मोबाइल के युग में भी प्राचीन परंपरा का निर्वाह कर रहा सिर्वी समाज

– समाज के एक हजार से अधिक घरों तक बाइक से पहुंचकर गमी की सूचना देते हैं उदयसिंह

पुंजापुरा (बाबू हनवाल)। इंटरनेट व माेबाइल के दौड़ते-भागते जमाने में भी प्राचीनकाल से चली आ रही परपंराओं को जीवंत बनाए रखा है सिर्वी समाज ने। समाज के किसी परिवार में गमी होने पर आधुनिक संसाधनों से सूचना भले ही दी जाती हो, लेकिन समाज में घर-घर तक जाकर मौखिक सूचना देने का काम उदय शंकर अमलाशिया पिछले 15 सालों से भलीभांति कर रहे हैं। समाज के घर-घर तक जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर उन्हें करना पड़ता है।

यूं तो आधुनिक समय में व्हाट्सएप, फेसबुक व अन्य माध्यमों से समाज की घटना-दुर्घटना की जानकारी चंद मिनटों में पहुंच जाती है। ऐसे समय में भी सिर्वी समाज में सूचना व्यक्तिगत तौर पर देने का कार्य बड़वाह के नजदीक गांव में रहने वाले उदयसिंह पिछले 15 वर्षों से कर रहे हैं। सिर्वी समाज में किसी परिवार में गमी होने पर वे 47 गांवों तक अपनी बाइक से घूमते हुए करीब-करीब एक हजार घरों तक सूचना देते हैं। समाज के घर पुंजापुरा, बड़वानी, रतनपुर, किशनगढ़, भीकूपुरा, उदयनगर सहित कई गांवों में है। उन गांवों तक पहुंचने में लगभग 300 किमी तक बाइक का सफर होता है। उदयसिंह घर की चौखट से परिजनों को बैन, जीजी जैसे आत्मीय संबोधनों से आवाज लगाते हैं। इस सूचना देने के काम में उन्हें गेहूं या अन्य अनाज भेंट स्वरूप प्राप्त होता है।

उदयसिंह बताते हैं, कि मुझे समाज के घरों में सूचना देने में चार से पांच दिन लगते हैं। जिस गांव में भी जाता हूं, वहां चाय, नाश्ता, भोजन की व्यवस्था लोग स्वयं करते हैं। उदयसिंह अपनी दिनचर्या सामान्य तरीके से जीते हैं। वे शाकाहारी हैं। बीड़ी-सिगरेट सहित अन्य नशे से दूर हैं। जहां भी जाते हैं, वहां सिर्वी समाज के सदस्यों द्वारा सम्मान किया जाता है। जिस परिवार में गमी होती है, उनके द्वारा उदयसिंह को 1100 रुपए दिए जाते हैं। कार्यक्रम में भी उनका समाज बंधुओं द्वारा पुष्पहार से सम्मान होता है। उदयसिंह अपने काम से संतुष्ट है।

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