- देवास जिले के शिवपुर तीर्थ में हुआ अग्नि संस्कार
- हजारों अनुयायियों ने नम आंखों से दी विदाई
- 18 जुलाई को देवास में होगी गुणानुवाद सभा
देवास। जैन जगत के महान गुरु एवं हजारों भक्तों की श्रद्धा के केंद्र शिवपुर तीर्थ अधिष्ठाता एवं माणिभद्र वीर के परम साधक पूज्य आचार्यश्री वीररत्न सूरीश्वरजी मसा शनिवार को पंचतत्व में विलिन हो गए। अग्नि संस्कार के चढ़ावे में गुरु भक्तों ने बड़-चढ़कर हिस्सा लिया।
आप तेजस्वी साहित्यकार एवं ओजस्वी प्रवचनकार थे। 71 वर्ष के साधनाकाल में 45 वर्षों से लगातार मालव भूमि में विचरण कर रहे थे। देवास की टेकरी स्थित जैन मंदिर, शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर के देवगुरु मंदिर सहित भारतभर में आपके द्वारा 300 जैन मंदिर, धर्मशाला, आराधना भवन एवं गुरुकुल का निर्माण कराया गया। इस महान शिल्पकार ने भारतभर के हजारों गुरु भक्तों के हृदय में आस्था की ऐसी ज्योत जलाई जो बरसों बरस तक स्मृति में रहेगी। अंतिम संस्कार में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, मारवाड़, छत्तीसगढ़ सहित देश के कोने-कोने से हजारों गुरु भक्त उपस्थित हुए। नम आंखों से भक्तों ने अपने प्यारे गुरु को अंतिम विदाई दी।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया, कि आचार्यश्री का जन्म 28 फरवरी 1952 को राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ में हुआ था। बचपन के इस उत्तम कुमार ने मात्र 11 वर्ष 6 माह की आयु में ही गृहस्थ जीवन का परित्याग कर दिया था। संयम का मार्ग स्वीकार कर आप मुनि वीररत्न विजयजी बने थे। आपको प्रथम दीक्षा आचार्यश्री प्रेम सुरीश्वरजी मसा ने दिलवाई थी। आचार्यश्री भुवनभानु सुरीश्वरजी के सुशिष्य बनकर आपने मालवा प्रांत को अपनी कर्म स्थली एवं साधना स्थली बनाया। मालवा प्रांत में आपकी प्रेरणा से शिवपुर मातमोर तीर्थ, देवास में टेकरी स्थित शत्रुंजयावतार आदेश्वर तीर्थ, मक्सी पार्श्वनाथ तीर्थ का जीर्णोद्धार, कामित पूरण पार्श्वनार्थ तीर्थ उन्हेल, तिलक नगर पार्श्वनाथ तीर्थ इंदौर, शंखेश्वर धाम राऊ, ओएसिस तीर्थ इंदौर सहित कई अन्य प्रांत में भी विशाल निर्माण कार्य करवाकर एक अमिट इतिहास का सृजन किया।
आगामी आयोजन-
पूज्य गुरुदेव को भावांजलि अर्पित करने हेतु समग्र जैन समाज देवास की गुणानुवाद सभा का आयोजन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर तुुकोगंज रोड पर 18 जुलाई मंगलवार को प्रात 9.15 बजे रखा गया है। इसमें समग्र जैन समाज एवं अन्य समाज के गुरु भक्त उपस्थित रहेंगे।
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