यहां का आम बहुत है खास

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  • बगीचों में दो हजार से अधिक पेड़, बाहर से खरीदी के लिए आते हैं व्यापारी
  • अतिरिक्त फसल किसानों को बना रही आर्थिक रूप से मजबूत

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)।

मौसम के अनुकूल होने से इन दिनों क्षेत्र में आम की बहार है। यहां उम्दा किस्म के आम की पैदावर हो रही है। खेतों व सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में आम के वृक्ष लगे हैं। कुछ बड़े बगीचे भी है, जिनमें हापुस, तोतापरी, सिंदुरी, दशहरी जैसे आम की किस्में हैं। क्वालिटी को देखते हुए आसपास के नगरों से फलों के व्यापारी खरीदी के लिए आ रहे हैं। इन्हें बहुत ही कम भाव में आम मिल रहा है, जिन्हें बेचकर ये व्यापारी अच्छा लाभ कमा रहे हैं। किसानों के लिए भी ये आम अतिरिक्त फसल के रूप में आय का स्त्रोत बने हुए हैं।

बेहरी का यह क्षेत्र आम, जाम, सीताफल एवं फूलों के बगीचे के लिए प्रसिद्ध है। यहां आम के पांच बड़े बगीचे हैं। इनमें लगभग दो हजार वृक्ष है। अधिकतर वृक्षों में आम की बहार है। गांव में 100 से अधिक वृक्ष अचार वाले आम के हैं। यहां लोग अचार की कैरी खरीदने के लिए भी आते हैं। क्षेत्र में तोतापरी, लंगड़ा, हापुस, सिंदूरी, सोफिया, कलमी एवं दशहरी आम के पेड़ है। जिनके खेतों में आम के कुछ ही वृक्ष हैं, वे तो अपने घर व रिश्तेदारों को देने के लिए आम बाजार में नहीं बेचते, लेकिन जिनके यहां वृक्षों की संख्या अधिक हैं, वे व्यापारियों को बेचते हैं। कुछ किसान मोलभाव कर फल सहित वृक्षों को दो माह के लिए व्यापारियों को दे देते हैं।

आंधी चलने से कुछ नुकसान जरूर हुआ-

आम खरीदने वाले व्यापारी मुकेश बागवान, रमेशकुंवर बागवान, अर्जुन बागवान ने बताया, कि बेमौसम बारिश के हवा-आंधी चलने से कुछ आम को नुकसान जरूर हुआ है, फिर भी इस वर्ष आम की बहार है। इस वर्ष आम की यह फसल लाभ का सौदा है। व्यापारी जगदीश बागवान ने बताया बाहर से जो आम आ रहा है, वह हाइब्रिड है और उसे पकाने में केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है। वह बाजार में 40 से 60 रुपए किलो तक बिक रहा है। क्षेत्रीय आम की फसल आने से बाहरी आम के भावों में गिरावट आएगी। भाव में कमी होने पर भी इस बार फसल लाभ का सौदा साबित होगी।

हम आम बेचते नहीं, मुफ्त में देते हैं-

शौकिया तौर पर 25 प्रकार के आम की किस्म लगाने वाले पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी, सिद्धनाथ सावनेर, सूरजसिंह पाटीदार ने बताया, कि हमने आम के कई पेड़ लगाए हुए हैं। इनमें आम भी बहुत आ रहे हैं, लेकिन हम इन्हें बेचते नहीं। हम व मिलने-जुलने वाले सभी मुफ्त में आम का मजा ले रहे हैं। इसी प्रकार विक्रम बागवान, केदार पाटीदार, हरिनारायण यादव व भागीरथ पटेल के यहां भी आम के पेड़ लगे हैं। वे भी आम बेचते नहीं, घर में ही खाने के साथ-साथ नाते-रिश्तेदारों को आम के सीजन में आम खिलाते हैं। यहां के निवासी मुकेश महाराज के यहां लगे 6 पेड़ जिनकी कैरी अचार बनाने के काम आती है व दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इनके यहां कैरी की पहले से ही बुकिंग हो चुकी है। ये कैरी 60 रुपए किलो तक बिकेगी। इनका अचार खट्टा-मिठा व जायकेदार लगता है।

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