देवास। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद मप्र शासन संस्कृति विभाग के द्वारा देवास के वरिष्ठ नागरिक परिसर हॉल में पवन कुमार मिश्र स्मृति समारोह का आयोजन किया गया।
आयोजन के प्रथम सत्र में पहले साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने आयोजन के उद्देश्य और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि अकादमी का उद्देश्य उन सभी साहित्यकारों का स्मरण कर उनके कृतित्व और व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं को सामने लाना है जिन्हें कुछ कारणों से विस्मृत करके रखा गया है। दवे ने यह भी बताया कि उन पर इस बात के लिए भी सवाल उठाया गया कि कोई साहित्यकार जिस शहर का है, उसका स्मृति प्रसंग दूसरे शहर में क्यों रखा जाता है, उसी शहर में क्यों नहीं। डॉ दवे के अनुसार किसी भी साहित्यकार को सिर्फ उसके जन्मस्थान या कर्मस्थली तक सीमित रखकर नहीं देखा जा सकता। साहित्यकार पूरे देश व समाज का होता है। पवन कुमार के पुत्र डॉ कात्यायन मिश्र ने अपने पिता के व्यक्तित्व व कृतित्व के बारे में कई नई व रोचक जानकारियां दी। पवन कुमार ने अपने जीवनकाल में कई विद्यार्थियों व अपरिचितों की सहायता की। उनके पास एक भूखंड था जिसकी समय रहते कीमत आसमान पर पहुँच गई थी। नक्शा पास करने के लिए उनसे एक रु वर्गफीट की दर से रिश्वत माँगी गई जिसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी मगर रिश्वत नहीं दी।
डॉ कात्यायन ने पवन के दो गीतों का सस्वर पाठ भी किया। इसके बाद मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ गरिमा संजय दुबे ने पवन कुमार मिश्र के रचनाकर्म पर चर्चा करते हुए इस बात पर खेद जताया कि इतने महत्त्वपूर्ण साहित्यकार के काम का इंटरनेट पर कोई उल्लेख नहीं मिलता। इस पर उनके पुत्र डॉ कात्यायन ने कहा कि वे पिताजी के साहित्य को शीघ्र ही इंटरनेट पर अपलोड करने की व्यवस्था करेंगे। गरिमा ने पवन के एक कविता संग्रह की लिखित समीक्षा पढ़ी और उनकी दो रचनाओं का पाठ भी किया। उन्होंने पवन की रचनाओं में आए प्रगतिशीलता के कई बिंदुओं को रेखांकित भी किया। उन्होंने कहा कि साहित्य भाव प्रधान होता है, उसमें बौद्धिक आतंक नहीं फैलाया जा सकता। भावों का यही गुण पवन के काव्य की विशेषता है। उन्होंने पवन के रचनाकर्म पर साहित्यकार व समालोचक प्रमोद त्रिवेदी की लिखित टिप्पणी भी पढ़ी जिसमें उन्होंने पवन के उज्जैन में रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। पवन कुमार के सनीत प्रेम का पक्ष भी सामने आया। वे अपनी रचनाओं में प्रयोगवादी होने के साथ साथ प्रगतिशील भी थे। मैंने अपने पिता को कभी निराश नहीं देखा,वो प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्न रहते थे। वे बहुत ही कट्टर संघी थे, बाद में विद्यार्थी परिषद का दायित्व था। डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन पिताजी के गुरु थे। उनके जीवन में घूस और बेईमानी का कोई स्थान नहीं था। उनके बालसखा विरेन्द्र कुमार सखलेचा थे। उनके जैसा गंभीर अध्यापक मैंने नहीं देखा, वे हमेशा पढ़कर ही कक्षा में जाया करते थे। उनका खेलों के प्रति अद्भुत प्रेम था, वे बहुत ही उदार थे। आपने दो गीतों गौधूली के बादल छाएं गाँव में एवं पंक्ति गीतों की प्रस्तुति दी।
राष्ट्रीय कवि देवकृष्ण व्यास, शशिकांत यादव, प्रो. एसएम त्रिवेदी मंचासीन थे। साथ ही साहित्य अकादमी के साथी राकेशसिंह भोपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। कार्यक्रम की शुुरूआत में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादमी के डॉ. विकास दवे ने किया। जल बचाईये, जीवन बचाईये योजना अंतर्गत अमृत संचय अभियान की जानकारी मिशन से जुड़े गंगासिंह सोलंकी ने दी। डॉॅ. मनीषा सोनी ने अमृत संचय अभियान का फोल्डर वितरित कर जल सहेजने का अनुरोध किया।
संगोष्ठी में इंदौर से दिनेश तिवारी, वर्षा तिवारी, श्रृष्टि तिवारी, जितेन्द्र शिवहरे, राकेश दांगी, हेमलता शर्मा, अभिमन्युु तिवारी, दिव्या शर्मा, डॉ. कृतिका मिश्रा, राहुल मिश्रा, दिनेश कुमार, कल्पना मिश्रा, अनन्य मिश्रा उज्जैन, अशोक हंसमुख, भावना मिश्रा, डॉ. प्रकाश कांत, पूर्व न्यायाधीश आरपी सोलंकी, एसएल परमार, अशोक साहू, सुभाष व्यास पीसीओ जनपद पंचायत, सुभाष व्यास, हरि जोशी, संजय भटनागर, रामेश्वर पटेल, डॉ. जेपी सिंदल, विक्रमसिंह मालवीय, विनोद मंडलोई, सुरेन्द्रसिंह राजपूत, डॉ. इकबाल मोदी, चेतन उपाध्याय, यशोदरा भटनागर, जीएस सक्सेना, मोहन जोशी, राजेश पटेल, शब्बीर हुसेन कुरेश, अरविंद शर्मा, रामप्रसाद गुलावटिया, मोहनदास बैरागी, प्रदीप खोचे, ईश्वर मंडलोई, कमल दांगी, राकेश जोशी, नारायण, जगदीशसिंह राजपूत, सुरेश जेठवा, दयाराम मालवीय, विक्रमसिंह, महेन्द्र शर्मा, घनश्याम जोशी, महेन्द्रसिंह सोनकच्छ, रामप्रसाद कुशवाह, धीरज साहू, रमेश जोशी, सुभाष व्यास, ओपी तिवारी, नरेन्द्र जोशी, अनिल नागर, नरेन्द्र शर्मा, ध्रुव नारायण जोशी, महेन्द्रसिंह खूटखेड, दीपक मालवीय विचित्र, मिनुलसिंह, पूजा सिंह आदि सुधीजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गायक जुगल किशोर राठौर ने किया तथा आभार दोहाकार व व्यंग्यकार ओम वर्मा ने माना।
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