जिंदगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी…

Posted by

Kishore kumar
Kishore kumar

– किशोर कुमार की जयंती पर विशेष

(अखिलेश श्रीराम बिल्लौरे)
गीत गुनगुनाने के शौकीन लोगों में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो हरफनमौला किशोर कुमार को पसंद न करता होगा। हर वर्ग के चहेते गायक किशोर कुमार थे, हैं और रहेंगे।

उनके गाये गीत अजर-अमर हैं। वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज अंबर में सदैव गूंजती रहेगी। मधुर, कर्णप्रिय और हंसने-हंसाने वाली वह आवाज सुनकर हर उम्र का व्यक्ति झूमने लगता है। बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक के पसंद के गाने गाये हैं इस गायक कलाकार ने।

उन्होंने अपने दौर में प्रेमियों को खुश किया है तो दिलजलों के दिलों पर भी राज किया है। शराबियों के दिलों में भी खूब जगह बनाई है।

उनका शराबी फिल्म का गाया गीत कोई कैसे भूल सकता है- नशा शराब में होता तो नाचती बोतल…।

यानी यूं समझ लो यह गायक अपनी गायकी से यदि हंसाता था तो रुला भी देता था और दिलजलों के घाव भी भर देता था।

घुंघरु की तरह बजता ही रहा हूं मैं… गीत इसका अप्रतिम उदाहरण है। मुकद्दर का सिकंदर का गाना साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना… एक अलग ही अनुभूति का आभास कराता है। डान का गीत अरे दीवानों मुझे पहचानो… पर युवा झूम उठते थे कोई हमदम न रहा… गीत पर उदास हो जाते थे तो एक लड़की भीगी भागी सी पर चहक उठते हैं।

यानी हर विधा, हर वर्ग, हर पहलू… कहीं भी कोई भी विषय हो, परिस्थिति हो- किशोर कुमार सभी के चहेते बने।

प्रेमी यदि प्रेमिका से नाराज होकर जाने लगता या प्रेमिका के परिवार के दबाव में उसे भूलने की कोशिश करता तो अनायास ही यह गीत याद आता है- तेरी दुनिया से होके मजबूर चला…। किशोर कुमार ने इस गीत में प्रेमी की सारी मायूसी मानो उड़ेल दी।

मेरा इस किशोर प्रेम का उमड़ना कोई इत्तफाक नहीं है। आज उस हरफनमौला गायक का जन्मदिन है। इस कारण उनकी याद आना लाजिमी है। कोई किशोर नाइट में अपने दिल की आवाज देकर उन्हें याद कर रहा है तो कोई मंच से उन्हें आवाज दे रहा है। हमारे आप जैसे कई लोग ऐसे हैं जो बाथरूम, बेडरूम या एकांत में अपने प्रिय गायक को याद कर रहे हैं। ऐसे गायक को जो असमय ही अल्पायु में इस संगीतमय दुनिया में अपनी अमिट छवि छोड़कर चला गया।

वह दिन आज भी मुझे याद है, जब मैं अपने क्लासरूम में, कालेज में उनके गीत गाया करता था। उनकी आवाज निकालने का असफल प्रयास करता था। दोस्त मेरा हौसला बढ़ाते थे। वाहवाही करते थे, लेकिन मैं बहुत संकुचित स्वभाव का होने के कारण कभी मंच पर जाने का साहस नहीं दिखा पाया। आज भी यही स्थिति है। यह मेरी नहीं, मेरे जैसे कई बाथरूम सिंगरों की स्थिति है। बहरहाल बात किशोर कुमार की चल रही है तो उनके तत्कालीन प्रशंसकों के अनुसार किशोर कुमार भी बचपन से गाने गाया करते थे। सफर के दौरान ट्रेन में भी लोगों का मनोरंजन किया करते थे। अपनी गायकी से लोगों का दिल जीत लिया करते थे। उनका यह भोलापन, मस्तीभरा अंदाज लोगों को भाया और वे ऊंचाइयों की ओर बढ़ते चले गए। …लेकिन उस ऊंचाई पर जाने की उनके प्रशंसकों को उम्मीद नहीं थी, जहां जाने के बाद कोई लौटकर नहीं आता। बस याद रह जाता है- जिंदगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी…।
सादर नमन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *