सावन में शिवजी को शमी पत्र अर्पित करने से पूर्ण होती है मनोकामना- पंडित तिवारी
सुन्द्रेल-बिजवाड़ (दिनेशचंद्र पंचोली)।
बिना धर्मपत्नी के कभी यज्ञ नही होता है। अकेली पत्नी भी यज्ञ नही कर सकती। जब तक पति-पत्नी का जोड़ा साथ नही होता है, यज्ञ पूर्ण नही होता है। धर्म के हर कार्य में पत्नी की अहम भूमिका होती है। पत्नी ही पति को धर्म के कार्य में पूर्ण सहयोग कर भगवान के कार्य में आगे ले जाती है। उक्त प्रसंग सोमनाथ गुजरात में महाशिव पुराण के समापन दिवस पर भागवताचार्य पुष्पानंद तिवारी काटाफोड़ ने सुनाया।
आपने आगे कहा कि हमारे सनातन धर्म कि यह परंपरा है कि जब भी हमारे घर कोई अतिथि, संत, ब्राह्मण आता है तो उसके पैर प्रक्षालन कर भोजन कराएं। उसके बाद तिलक लगाकर उन्हें दक्षिणा प्रदान कर उनको नमस्कार करें और उनका आर्शीवाद लें। यह अतिथि सत्कार की परंपरा है। हमारे द्वार पर आया कोई भी अतिथि बिना सत्कार किये नही जाना चाहिए। यदि हमारे घर पर आये अतिथि का सत्कार नही किया तो इससे बड़ा कोई अपराध नही है। भगवान शिव ने संसार को यही उपदेश दिया कि अतिथि भगवान स्वरूप होता है। अतिथि का सत्कार करना मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि हनुमानजी शिव के अवतार है, शास्त्र कहता है कि जिसका ब्याव (शादी) नही हो रहा हो तो पांच मंगलवार को हनुमानजी के मंदिर में गाय के घी से दीपक लगाने से बहुत जल्दी शादी हो जाती है। पंडित तिवारी ने कहा कि सूर्यास्त के समय गोधूली बेला में कभी भी भोजन नही करना चाहिए। स्वाध्याय, शयन आदि कर्म बिलकुल नही करना चाहिए। सांयकाल में सिर्फ भगवत भजन ही करना चाहिए। यह नियम है और इसके विपरीत कार्य किया तो यह सबसे बड़ा पाप है। संत, ब्राह्मण, गौमाता के प्रति जिसकी श्रद्धा नही है तो वह ईश्वर की भक्ति कभी भी प्राप्त नही कर सकता। मनुष्य यदि सावन मास के पवित्र महीने में भगवान शंकर के शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाता है तथा गंगाजल से अभिषेक करता है और उस जल को ग्रहण करता है, उस भक्त की एक माह के अंदर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। सोमनाथ भगवान मंदिर परिसर में नागर परिवार ने सुन्दरकाण्ड का कार्यक्रम आयोजित किया। संयोजक सरोज गिरधर गोपाल नागर ने समापन अवसर पर आचार्य पुष्पानंद तिवारी का शाल श्रीफल भेंट कर सपरिवार सम्मान किया। कथा समापन पर समाजसेवी श्रीनिवास तिवारी, गायत्री परिवार के दिनेश पंचोली, पंडित दिनेश शर्मा, रवि नागर, महेश नागर , राजू नागर, तनिष्क गुप्ता सहित इंदौर, देवास, काटाफोड़, उज्जैन, देपालपुर आदि स्थानों के भक्तगण उपस्थित थे।